MSP Full Form in Hindi- Minimum Support Price | एमएसपी(MSP) क्या होता है और इनका फुल फॉर्म क्या होता है?
हम सब जानते हैं भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ देश का रीड किसान को कहा जाता है। किसान अपने भरण-पोषण के लिए खेतों में फसल उगाते हैं और उन्हें मंडी पर बेच आते हैं उनसे जो आमदनी होती है उससे ही एमएसपी(MSP) कहते हैं। यह सरकार के द्वारा तय की गई फसल का उचित दाम है। इन दाम को सरकार फसल के लगने से पहले ही तय करती है।
पिछले आर्टिकल में APMC Full Form in Hindi | एपीएमसी क्या होता है और इनका फूल फ़ॉर्म क्या होता है संछिप्त टिप्पणी किया है, इन्हें भी जरूर पढ़ें।
आप सबको MSP Full Form in Hindi Minimum Support Price न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी(MSP) क्या होता है और इनका फुल फॉर्म क्या होता है? MSP से क्या लाभ है, इन्हें में संक्षेप करके बताऊंगा इन्हें अवश्य विस्तार से पढ़ें।
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Full Form of MSP |
MSP Full Form Minimum Support Price और हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य होता है।
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को एक तरह से कहा जाए तो किसान के फसल के मूल्यों के लिए सुरक्षा कवच है क्योंकि खेती के सीजन आने पर उनके मूल्यों में उतार चढ़ाव होते रहता है जब फसल का मूल्य बहुत कम होता है तो किसान का लागत भी नहीं निकल पाता है यानी उन्हें बहुत ही हानि होती है वही यदि किसान के फसल का मूल्य निर्धारित रहेगा तो किसान अपने निर्धारित मूल्यों पर बेच पाएंगे और उनसे अधिक मुनाफे भी कमा पाएंगे।
लेकिन एमएसपी की बात किया जाए तो पूरे भारत में जितनी खेती होती है उनका सिर्फ 6% ही किसान MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पे बेच पाते हैं।
किसान को मजबूरन मंडी में जाकर बहुत कम मूल्यों पर अपने फसल को बेचने पर मजबूर हो जाते हैं। किसानों के दो दशक में सिर्फ 9% कि उनके आय में वृद्धि हुई है, वही सरकारी कर्मचारियों के इसमें लगभग 150% से 200% की वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा किसान ही मेहनत करते हैं फिर भी उनके आय में ज्यादा वृद्धि नहीं होती है इन्हीं सब कारणों से देश के किसान कोई भूखे मर रहे हैं तो कोई आत्महत्या कर रहे हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषणा क्यों किया जाता है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) का उद्देश्य
- किसानों को मजबूरन कम कीमत पर फसल बिक्री बचाना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न की प्राप्ति कराना है
- अगर किसी फसल का बाजार मूल्य अधिक उत्पादन होने से अधिक गिर जाता है तो तो सरकार किसान से उस फसल को MSP से खरीद लेती है।
वर्तमान में 25 फसलों के लिए MSP की घोषणा की जाती है
MSP के ऋणात्मक प्रभाव
- MSP के कारण मोटे अनाज और कुछ दालों पर विपरीत असर पड़ा है।
- MSP का लाभ कुछ विशेष क्षेत्र और कुछ विशेष लोगों को अधिक मिला है। भारत सरकार द्वारा कुछ विशेष राज्यों की पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र आदि में अधिग्रहण के कार्यक्रम को विशेष वरियता दी गई है।
- FCI द्वारा किए जाने वाले अधिग्रहण वितरण भंडारण के कारण भारत के खाद्यान्न के निजी व्यापार पर विपरीत असर पड़ा है।
MSP के धनात्मक प्रभाव
- इससे निर्धन लोगों की आय में बढ़ोतरी होती है।
- MSP से किसान को फसल बुआई करते वक्त ही पता चल जाता है कि मेरा अनाज कितने रुपए क्विंटल बिकेगा चाहे मंडी में कितना कम ही मूल क्यों ना हो।
MSP की शुरुआत कैसे हुई?
MSP की गणना(Calculation) कैसे होती है?
फसल लागत निकालने के तीन फार्मूले होते हैं जो कि निम्न है-
1.A2- किसान की तरफ से किया गया किसी भी तरह का भुगतान चाहे वह कैश में हो या किसी वस्तु जैसे खाद ,बीज, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिचाई का खर्च जोड़ा जाता है।
2.A2+FL- इसमे A2 को छोड़ परिवार के सदस्यो द्वारा किया गया मेहनत का मजदूरी भी जोड़ा जाता है।
3.C2 (Comprehensive cost) - कुल लागत जानने के लिए किसानों के लिए इस फार्मूला को सबसे बेहतर माना जाता है। इसमें उस जमीन की कीमत भी जोड़ी जाती है। खेती करने में लगा पूंजी के ब्याज को भी सम्मिलित किया जाता है।
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