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दोस्तों आज हम ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहा हूं। जिसने असंभव को भी संभव किया वह बचपन से ही ब्लाइंड था। और आज उनके पास 150 करोड़ टर्नओवर है।
जिनके रिश्तेदार गांव मोहल्ले के लोग कहां करते थे यह तो अंधा है इसे मार दीजिए नहीं तो यह आगे चलकर आप लोगों का बोझ बनेगा हम बात करें रहे वही श्रीकांत बोला का।
अभी के दौर में श्रीकांत बोला को कौन नहीं जानता जिन्होंने असंभव काम को भी संभव किया।
इस कहानी की शुरुआत होती है, हैदराबाद के ऐसे निर्धन किसान के परिवार से। जिनकी वार्षिक आय ₹20000( प्रतिदिन ₹54 से कम) से भी कम थी उसके परिवार के सदस्यों को यह भी मालूम नहीं होता था रात का खाना नसीब होगा या नहीं।
श्रीकांत बोला जब 10 साल के हुए उनके पिताजी उनका एडमिशन गांव के एक प्राथमिक विद्यालय में करवा दिया।
श्रीकांत बोला बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे उन्होंने अपने स्कूल अपने घर से 5 किलोमीटर अक्सर पैदल जाया करते थे।
श्रीकांत बोला को क्लास के पिछले बेंच पर बैठने दिया जाता था उन्हें में PT शामिल होने की इजाजत नहींं थी। वह सोचते रहता था ऐसा लगता है मैं सिर्फ गरीब नहीं हूं बल्कि मैं अकेला भी हूं ।
उन्होंने दसवीं की परीक्षा में 90 फ़ीसदी अंक लाकर के अपने स्कूल का टॉपर बने वह इंटरमीडिएट साइंस करना चाहते थे, लेकिन ब्लाइंड छात्रों को साइंस इंटर करने का आदेश नहीं था।
मैंने 6 महीने तक सरकार से लड़ते रहा दिव्यांग छात्र को भी मैट्रिक के बाद उन्हें साइंस लेने की अनुमति दी जाए और मैं सिर्फ अकेला था
लेकिन उन्होंने काफी मशक्कत करने के बाद आखिरकार उसने साइंस में एडमिशन ले लिया। श्रीकांत देश के पहले ब्लाइंड बने जिन्होंने दसवीं के बाद साइंस पढ़ने की अनुमति मिली इसके बाद श्रीकांत ने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा। श्रीकांत को अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करते ही अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान ( MIT)में प्रवेश मिला। इसी के साथ ही श्रीकांत देश के पहले ऐसे ब्लाइंड स्टूडेंट बने जिन्होंने से MIT शिक्षा प्राप्त की।
अमेरिका से अपनी शिक्षा लेने के बाद श्रीकांत ने हैदराबाद में अपनी कंपनी की शुरुआत की। श्रीकांत ने एक कंपनी का गठन किया। जिनका नाम था कंजूमर फूड पैकेजिंग कंपनी जिन्होंने सिर्फ 8 लोगों की टीम से शुरुआत की थी। फनी में लोगों के खाने पीने का सामान का पैकिंग हुआ करता था।
आज श्रीकांत के 12 प्लांट है जिसमें से की चार प्लांट तेलंगाना और हैदराबाद में है जिसमें हजारों कर्मचारी काम करते हैं उनमें से लगभग कर्मचारी ब्लाइंड ही है।
श्रीकांत कहते हैं कि जब सारी दुनिया उनसे कहती थी, कि वह कुछ नहीं कर सकता। तो वह उनसे कहते थे कि वह सब कुछ कर सकता है। आज जिस मुकाम पर श्रीकांत है, उन्होंने अपनी इस बात को साकार भी कर दिखाया है। श्रीकांत कहते हैं यदि आपको अपनी जिंदगी में जंग जितनी हो, तो बुरे समय में धैर्य बनाकर रखना सफलता जरूर मिलेगी।
संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
सफलता में दुनिया साथ होती है,
जिस-जिस पर यह जग हंसा है,
उसने ही इतिहास रचा है।।
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